Connect with us

पंजाब

अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संबोधित पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक से दूर रहने पर नवजोत सिद्धू को कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है!

कांग्रेस आलाकमान ने एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संबोधित पार्टी के पहले कार्यकर्ता सम्मेलन से पीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिद्धू की ‘जानबूझकर’ अनुपस्थिति पर संज्ञान लिया है। सिद्धू का पीपीसीसी अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग के साथ विवाद चल रहा है।

इससे पहले राज्य मामलों के प्रभारी देवेंदर यादव ने राज्य में समानांतर रैलियां आयोजित करने और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला करने के लिए सिद्धू को फटकार लगाई थी। वह यादव द्वारा बुलाई गई बैठकों में भी शामिल नहीं हुए। पीपीसीसी अध्यक्ष ने पार्टी की राज्य इकाई से परामर्श किए बिना राजनीतिक बैठकें आयोजित करने के लिए सिद्धू को अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी।

ऐसी उम्मीद थी कि पार्टी आलाकमान के प्रति वफादार होने का दावा करने वाले नवजोत सिद्धू. खड़गे की बैठक में शामिल होंगे. उन्हें उस मंच पर नहीं देखा गया जहां पीपीसीसी के सभी पूर्व अध्यक्षों सहित पार्टी के सभी नेता मौजूद थे। सिद्धू के सहयोगियों का आरोप है कि कार्यक्रम में सिद्धू को आमंत्रित नहीं किया गया। हालांकि, पीपीसीसी अध्यक्ष ने कहा कि सिद्धू ने स्वेच्छा से रैली से दूर रहना चाहा है।

पंजाब में खड़गे के स्वागत के लिए सिद्धू ने एक्स (पहले ट्विटर) का इस्तेमाल किया था और एक वीडियो क्लिप पोस्ट कर आरोप लगाया था कि कांग्रेस में पार्टी कार्यकर्ताओं को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। बैठक के दौरान खाली रहे डायस पर सिद्धू की सीट आरक्षित थी।

सिद्धू ने पंजाब में मोगा, होशियारपुर और बठिंडा जिले के मेहराज और कोटशमीर गांवों में चार रैलियों को संबोधित किया था। पीपीसीसी अध्यक्ष ने मोगा से पूर्व कांग्रेस विधायक महेशिंदर सिंह और उनके बेटे दमनजीत सिंह को अवैध बैठक आयोजित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसे सिद्धू ने संबोधित किया था। उन्हें सिद्धू का समर्थक होने के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया गया लेकिन सिद्धू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यादव ने मीडिया से कहा कि सब कुछ आलाकमान के संज्ञान में है।

माना जा रहा है कि खड़गे की बैठक से सिद्धू के गायब रहने के बाद पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है. वह बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उन्हें कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार में मंत्री बनाया गया। लेकिन उन्होंने कैप्टन के काम करने के तरीके की आलोचना की और अंततः जब उनका विभाग स्थानीय स्वशासन से सत्ता में बदल दिया गया तो उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

पंजाब

पंजाब की मंडियों अब तक 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहुंचाः लाल चंद कटारूचक

पंजाब की मंडियों अब तक 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहुंचाः लाल चंद कटारूचक

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री लाल चंद कटारूचक ने कहा कि पंजाब में इस बार गेहूं की बंपर फसल हुई है, जिससे 124 लाख मीट्रिक टन केंद्रीय पूल लक्ष्य को आसानी से हासिल करने में मदद मिलेगी।

खरड़ मंडी में गेहूं खरीद कार्यों का जायजा लेते हुए मंत्री ने कहा कि अब तक राज्य की मंडियों में 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं आ चुका है और 3.22 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है। किसानों के खातों में 151 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

24 घंटे केअंदर किया जा रहा भुगतान

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों के अनुसार जहां फसल खरीद के 24 घंटे के अंदर भुगतान किया जा रहा है, वहीं उठान में भी कोई कमी नहीं आई है। मंत्री ने बताया कि इस बार गेहूं की गुणवत्ता बहुत उच्च स्तर की रही है तथा एजेंसियों के साथ-साथ आढ़तियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे फसल को खराब मौसम से बचाने के लिए तिरपाल और क्रेटों का पुख्ता प्रबंध करें। इसके अलावा बारदाना की भी कोई कमी नहीं आई है।

भंडारण क्षमता को बढ़ा रही है राज्य सरकार

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भंडारण क्षमता को 31 लाख मीट्रिक टन बढ़ा रही है तथा इस बार केंद्रीय एजेंसियां ​​अगले कुछ दिनों में 15 लाख मीट्रिक टन फसल सीधे मंडियों से ही उठा लेंगी। मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसानों को मंडियों में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी तथा वे मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार प्रबंधों की स्वयं समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खरीद कार्य से जुड़े अधिकारियों को किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरतने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसानों और आढ़तियों को मंडियों में किसी प्रकार की परेशानी न हो।

 

Continue Reading

पंजाब

राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए मान सरकार ने लिया अहम फैसला

राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए मान सरकार ने लिया अहम फैसला

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए अहम फैसला लिया है। अब इंतकाल, नकल, आय प्रमाण पत्र, राजस्व रिकॉर्ड जांच या NOC प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है।

वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राजस्व विभाग में 1 लाख 70 हजार आवदेन मिले थे। इनमें से कुल 26,658 आवेदन लंबित हैं। इन लंबित आवेदनों को 30 अप्रैल तक निपटाने के आदेश भी संबंधित अधिकारियों को दे दिए गए हैं।

1 मई से होंगे बड़े बदलाव

वहीं, इसके साथ ही 1 मई से राजस्व विभाग में बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे। मान सरकार ने इंतकाल और नकल निकलवाने जैसे कामों के लिए समय नई समय सीमा तय कर दी है। जहां पहले इतंकाल दर्ज करने का समय 45 दिन था। इसे घटाकर 30 दिन किया गया है। वहीं, एक मई से नकल मिलने में 10 दिन लगेंगे।आय प्रमाण पत्र बनने में 15 दिन का समय लगेगा। वहीं, राजस्व रिकॉर्ड की जांच में अब केवल 7 दिन का समय लगेगा।

Continue Reading

पंजाब

मान सरकार का ऐतिहासिक फैसला, पंजाब के 500 सरकारी स्कूलों को मिलेंगे नए प्रिंसिपल

मान सरकार का ऐतिहासिक फैसला, पंजाब के 500 सरकारी स्कूलों को मिलेंगे नए प्रिंसिपल

पंजाब की मान सरकार राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम कर रही है। वहीं, स्कूल प्रिंसिपलों की कमी को दूर करने और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने स्कूल प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है। इस निर्णय से राज्य के स्कूलों में 500 नए प्रधानाचार्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

पिछली सरकार में घटाया गया था कोटा

पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रधानाचार्यों की पदोन्नति का कोटा घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था, जिसके कारण पंजाब के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी हो गई थी। इस परिवर्तन से न केवल वरिष्ठ शिक्षकों के लिए पदोन्नति के अवसर बाधित हुए, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में देरी और कानूनी विवादों के कारण भारी रिक्तियां भी उत्पन्न हुईं।

पिछली सरकार की विफलताओं पर प्रकाश डालते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा, “2018 में कांग्रेस सरकार ने नियमों में बदलाव किया, जिससे प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। इस अन्यायपूर्ण बदलाव ने शिक्षकों को उनकी उचित पदोन्नति से वंचित कर दिया और कई स्कूलों को प्रिंसिपल विहीन कर दिया। वहीं इसके कारण नियुक्तियों का एक लंबित मामला कानूनी चुनौतियों में फंस गया, जिससे समस्या और जटिल हो गई।”

शिक्षकों के अधिकारों को करेगा बहाल

मंत्री बैंस ने प्रिंसिपलों के लिए 75 प्रतिशत पदोन्नति कोटा बहाल करने के पंजाब सरकार के फैसले की घोषणा की, जिससे बड़ी संख्या में योग्य वरिष्ठ अध्यापकों को स्कूलों में नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, “इस निर्णय से राज्य भर में लगभग 500 नए प्रधानाचार्यों की पदोन्नति हो सकेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे स्कूलों में शैक्षिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी शिक्षक होंगे। यह हमारे शिक्षकों के अधिकारों को भी बहाल करता है, जिन्हें पिछली सरकार ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था।”

मंत्री ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने, शिक्षकों को सशक्त बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने को लगातार प्राथमिकता दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय शिक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक चुनौतियों के समाधान में मददगार साबित होगा।

Continue Reading

Trending