पंजाब
शंभू स्टेशन पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 90वें दिन भी जारी, 154 ट्रेनें प्रभावित

गिरफ्तार किए गए तीन किसानों की रिहाई और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर शंभू व अन्य बॉर्डर पर किसानों का मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है और आज 150 ट्रेनें बाधित की गईं।
रेलवे की विज्ञप्ति के अनुसार, आज अंबाला-अमृतसर ट्रैक पर रेल रोको अभियान के 26वें दिन 154 ट्रेनें प्रभावित हुईं – 2 ट्रेनों को शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया, 2 ट्रेनों को शॉर्ट-ओरिजिनेट किया गया, 46 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया और 104 ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए – जिससे जनता को असुविधा हुई और रेलवे को भी भारी नुकसान हुआ।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि देश में हो रहे लोकसभा चुनावों के कारण हरियाणा और पंजाब के गांवों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है और भीषण गर्मी के बावजूद अंबाला में किसानों का गुस्सा चरम पर है। पंधेर ने लोगों से अपील की कि वोट देने से पहले उन्हें अपने हकों के लिए लड़ रहे किसानों के आंदोलन के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने लोकतंत्र की सारी सीमाएं लांघ दी हैं और तीनों किसानों को अभी तक रिहा नहीं किया है। उन्होंने भाजपा को फिर चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा को याद रखना चाहिए कि सत्ता का रास्ता हमारे गांवों से होकर जाता है और आने वाले दिनों में भाजपा को इसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है।
उन्होंने इन सवालों के जवाब मांगे – देश की राजधानी की ओर जाने वाली सड़कों पर दीवारें क्यों बनाई गईं? शुभकरण सिंह और अन्य किसानों पर गोलियां क्यों चलाई गईं? निहत्थे किसानों पर आंसू गैस और अन्य गोले क्यों दागे गए? हरियाणा पुलिस ने प्रीतपाल सिंह को बैग में भरकर क्यों पीटा? भाजपा ने अपने लिखित वादों से क्यों मुकर गई? किसानों को दिल्ली जाने से क्यों रोका गया? शुभकरण सिंह की हत्या क्यों की गई?
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है और प्राप्त जानकारी के अनुसार ये सवाल पंजाब और हरियाणा के लगभग सभी गांवों के किसान और ग्रामीण भाजपा और उसके सहयोगी दलों से पूछ रहे हैं, जिनका भाजपा नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है।
किसान आंदोलन-2 के 90 दिन पूरे होने पर किसान मजदूर मोर्चा और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने बताया कि किसान अपनी मांगों को लेकर शंभू, खनौरी, डबवाली, रतनपुर बॉर्डर पर पूरे जोश और जुनून के साथ डटे हुए हैं। बढ़ती गर्मी और तूफान की परवाह किए बिना किसान भाजपा की हर जबरदस्ती का सामना करने के लिए तैयार हैं। 100वें दिन चारों बॉर्डर पर विशाल जमावड़ा होगा और अपना विरोध दर्ज कराया जाएगा।