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सांसद राघव चड्ढा ने भारत पर लगाए अमेरिकी टैरिफ और स्टारलिंक की एंट्री को लेकर केंद्र से पूछे तीखे सवाल, कहा- स्टारलिंक को “बर्गेनिंग चिप” की तरह करें इस्तेमाल*

संसद में AI क्रांति पर बोले सांसद राघव चड्ढा, कहा- चाइना के पास डीपसीक, अमरीका के पास chatGPT, भारत कहां खड़ा है?

राज्यसभा में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भारत में अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक की एंट्री और अमेरिका की तरफ से भारतीय सामान पर लगाए गए टैरिफ को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। चड्ढा ने स्टारलिंक को मंजूरी देने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और इसके संभावित दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की मांग की है। यह चर्चा उस समय हुई जब भारत सरकार स्टारलिंक को देश में ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है।

सरकार ने गूगल टैक्स किया माफ

राघव चड्ढा ने अपने सवालों को बेहद जोरदार तरीके से संसद में रखते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अमेरिका के प्रति अपनी दोस्ती और वफादारी दिखाई है। हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा फाइनेंस एक्ट में संशोधन कर गूगल टैक्स यानी और इक्विलाइजेशन लेवी को हटाने का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे मेटा, अमेजन और गूगल को फायदा मिला, लेकिन भारत को लगभग 3000 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ। लेकिन इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 26 फीसदी का टैरिफ लगा दिया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। चड्ढा ने इसे भारत के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा कि इससे हमारी जीडीपी पर 50 से 100 बेसिस पॉइंट्स का असर पड़ सकता है।

भारत-अमेरिका के रिश्तों पर कसा तंज

राघव चड्ढा ने कहा, “हमने अमेरिका का दिल जीतने के लिए सब कुछ किया। लेकिन बदले में अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका दिया। उन्होंने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर तंज कसते हुए कहा, “अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का।”

स्टारलिंक को “बर्गेनिंग चिप” की तरह करें इस्तेमाल

राघव चड्ढा ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को दी जाने वाली मंजूरी रोकनी चाहिए और उसका इस्तेमाल अमेरिका से फिर से टैरिफ को लेकर बातचीत में “बर्गेनिंग चिप” के तौर पर करना चाहिए।

ड्रग तस्करों के पास से मिला था स्टारलिंक

अपने भाषण के दौरान सांसद राघव चड्ढा ने स्टारलिंक को लेकर कुछ चिंताजनक घटनाओं का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान एलन मस्क ने खुद सोशल मीडिया पर कहा था कि “स्टारलिंक यूक्रेनियन आर्मी की रीढ़ है, अगर मैं इसे बंद कर दूं तो पूरी फ्रंटलाइन धराशायी हो जाएगी।”

उन्होंने कहा कि भारत को भी इससे सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सर्वोपरि है।

उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि कुछ महीने पहले अंडमान में 6000 किलो सिंथेटिक ड्रग्स की जब्ती के दौरान यह पाया गया कि म्यांमार के ड्रग तस्करों ने नेविगेशन के लिए स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।
वहीं, जब भारत सरकार ने इस बारे में डेटा और डिवाइस की जानकारी स्टारलिंक से मांगी, तो कंपनी ने डेटा प्राइवेसी लॉ का हवाला देकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।

कैसे निपटेगी भारत सरकार

राघव चड्ढा ने पूछा, “जब एक विदेशी कंपनी भारत के कानून और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करती, तो ऐसे में सरकार क्या योजना बना रही है?” उन्होंने सरकार से दो प्रमुख सवाल पूछे – पहला, सरकार स्टारलिंक जैसी कंपनियों से आने वाले प्रतिरोध से कैसे निपटेगी? और दूसरा, सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के संभावित दुरुपयोग से कैसे निपटेगी?

सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वे हर उस मुद्दे को सदन में उठाते रहेंगे, जो भारतीय हितों और भारत की आर्थिक संप्रभुता को प्रभावित करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका सवाल किसी कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और डेटा नीति की मजबूती के लिए है।

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पंजाब की मंडियों अब तक 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहुंचाः लाल चंद कटारूचक

पंजाब की मंडियों अब तक 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं पहुंचाः लाल चंद कटारूचक

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री लाल चंद कटारूचक ने कहा कि पंजाब में इस बार गेहूं की बंपर फसल हुई है, जिससे 124 लाख मीट्रिक टन केंद्रीय पूल लक्ष्य को आसानी से हासिल करने में मदद मिलेगी।

खरड़ मंडी में गेहूं खरीद कार्यों का जायजा लेते हुए मंत्री ने कहा कि अब तक राज्य की मंडियों में 4.19 लाख मीट्रिक टन गेहूं आ चुका है और 3.22 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है। किसानों के खातों में 151 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

24 घंटे केअंदर किया जा रहा भुगतान

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशों के अनुसार जहां फसल खरीद के 24 घंटे के अंदर भुगतान किया जा रहा है, वहीं उठान में भी कोई कमी नहीं आई है। मंत्री ने बताया कि इस बार गेहूं की गुणवत्ता बहुत उच्च स्तर की रही है तथा एजेंसियों के साथ-साथ आढ़तियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे फसल को खराब मौसम से बचाने के लिए तिरपाल और क्रेटों का पुख्ता प्रबंध करें। इसके अलावा बारदाना की भी कोई कमी नहीं आई है।

भंडारण क्षमता को बढ़ा रही है राज्य सरकार

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भंडारण क्षमता को 31 लाख मीट्रिक टन बढ़ा रही है तथा इस बार केंद्रीय एजेंसियां ​​अगले कुछ दिनों में 15 लाख मीट्रिक टन फसल सीधे मंडियों से ही उठा लेंगी। मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसानों को मंडियों में किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी तथा वे मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार प्रबंधों की स्वयं समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खरीद कार्य से जुड़े अधिकारियों को किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरतने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसानों और आढ़तियों को मंडियों में किसी प्रकार की परेशानी न हो।

 

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पंजाब

राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए मान सरकार ने लिया अहम फैसला

राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए मान सरकार ने लिया अहम फैसला

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने राजस्व विभाग में लोगों की परेशानी कम करने के लिए अहम फैसला लिया है। अब इंतकाल, नकल, आय प्रमाण पत्र, राजस्व रिकॉर्ड जांच या NOC प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है।

वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राजस्व विभाग में 1 लाख 70 हजार आवदेन मिले थे। इनमें से कुल 26,658 आवेदन लंबित हैं। इन लंबित आवेदनों को 30 अप्रैल तक निपटाने के आदेश भी संबंधित अधिकारियों को दे दिए गए हैं।

1 मई से होंगे बड़े बदलाव

वहीं, इसके साथ ही 1 मई से राजस्व विभाग में बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे। मान सरकार ने इंतकाल और नकल निकलवाने जैसे कामों के लिए समय नई समय सीमा तय कर दी है। जहां पहले इतंकाल दर्ज करने का समय 45 दिन था। इसे घटाकर 30 दिन किया गया है। वहीं, एक मई से नकल मिलने में 10 दिन लगेंगे।आय प्रमाण पत्र बनने में 15 दिन का समय लगेगा। वहीं, राजस्व रिकॉर्ड की जांच में अब केवल 7 दिन का समय लगेगा।

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पंजाब

मान सरकार का ऐतिहासिक फैसला, पंजाब के 500 सरकारी स्कूलों को मिलेंगे नए प्रिंसिपल

मान सरकार का ऐतिहासिक फैसला, पंजाब के 500 सरकारी स्कूलों को मिलेंगे नए प्रिंसिपल

पंजाब की मान सरकार राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम कर रही है। वहीं, स्कूल प्रिंसिपलों की कमी को दूर करने और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने स्कूल प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है। इस निर्णय से राज्य के स्कूलों में 500 नए प्रधानाचार्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

पिछली सरकार में घटाया गया था कोटा

पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रधानाचार्यों की पदोन्नति का कोटा घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था, जिसके कारण पंजाब के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी हो गई थी। इस परिवर्तन से न केवल वरिष्ठ शिक्षकों के लिए पदोन्नति के अवसर बाधित हुए, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में देरी और कानूनी विवादों के कारण भारी रिक्तियां भी उत्पन्न हुईं।

पिछली सरकार की विफलताओं पर प्रकाश डालते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा, “2018 में कांग्रेस सरकार ने नियमों में बदलाव किया, जिससे प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। इस अन्यायपूर्ण बदलाव ने शिक्षकों को उनकी उचित पदोन्नति से वंचित कर दिया और कई स्कूलों को प्रिंसिपल विहीन कर दिया। वहीं इसके कारण नियुक्तियों का एक लंबित मामला कानूनी चुनौतियों में फंस गया, जिससे समस्या और जटिल हो गई।”

शिक्षकों के अधिकारों को करेगा बहाल

मंत्री बैंस ने प्रिंसिपलों के लिए 75 प्रतिशत पदोन्नति कोटा बहाल करने के पंजाब सरकार के फैसले की घोषणा की, जिससे बड़ी संख्या में योग्य वरिष्ठ अध्यापकों को स्कूलों में नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, “इस निर्णय से राज्य भर में लगभग 500 नए प्रधानाचार्यों की पदोन्नति हो सकेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे स्कूलों में शैक्षिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी शिक्षक होंगे। यह हमारे शिक्षकों के अधिकारों को भी बहाल करता है, जिन्हें पिछली सरकार ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था।”

मंत्री ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने, शिक्षकों को सशक्त बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने को लगातार प्राथमिकता दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय शिक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक चुनौतियों के समाधान में मददगार साबित होगा।

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