पंजाब

सीएम मान ने पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव तुरंत कराने की मांग की

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में सीनेट चुनाव तत्काल कराने के लिए भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

उपराष्ट्रपति को लिखे पत्र में भगवंत सिंह मान ने कहा कि 31 अक्टूबर, 2024 को वर्तमान सीनेट का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव की घोषणा न करना राज्य के लिए अत्यधिक भावनात्मक मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय का गठन पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 (1947 का अधिनियम VII) के तहत किया गया था और इसकी स्थापना 1947 में देश के विभाजन के बाद लाहौर में पंजाब राज्य के मुख्य विश्वविद्यालय के नुकसान की भरपाई के लिए की गई थी।

भगवंत सिंह ने कहा कि 1966 में राज्य के विभाजन के बाद, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 ने अपनी स्थिति बनाए रखी, जिसका अर्थ है कि विश्वविद्यालय उसी तरह काम करता रहा जैसा वह था और वर्तमान पंजाब राज्य में शामिल क्षेत्रों पर इसका अधिकार क्षेत्र वैसे ही जारी रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तब से ही पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समृद्ध विरासत का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही हर चार साल बाद इसकी सीनेट का गठन किया जाता रहा है, जिसके सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हैरानी की बात है कि इस साल सीनेट के चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि पिछले छह दशकों से ये चुनाव नियमित रूप से संबंधित वर्ष के अगस्त-सितंबर में होते रहे हैं।

ने कहा कि विश्वविद्यालय सीनेट, जिसका वर्तमान कार्यकाल 31 अक्टूबर को समाप्त हो गया है, के चुनाव न होने से न केवल हितधारकों में निराशा हुई है, बल्कि यह किसी भी सुशासन और कानून के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सीनेट चुनाव में देरी के कारण शिक्षकों, पेशेवरों, तकनीकी सदस्यों, विश्वविद्यालय के स्नातकों और विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों में काफी नाराजगी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के नियमों के भी खिलाफ है, जिसके तहत हर चौथे साल चुनाव कराना अनिवार्य है और इस देरी से विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और पूर्व छात्र समुदायों में व्यापक चिंता पैदा हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया के स्थान पर नामांकन प्रक्रिया को लाने की खबरें आग में घी डालने का काम कर रही हैं, क्योंकि इस तरह के बदलाव से विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक भावना कमजोर होगी और स्नातक मतदाताओं की आवाज दब जाएगी, जिन्होंने संस्थान के संचालन में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उप राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए भगवंत सिंह मान ने उनसे आग्रह किया कि वे पंजाब विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन को विश्वविद्यालय की सीनेट के चुनाव उचित और समय पर करवाने के लिए सलाह दें।

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