पंजाब

सीएम मान ने संगरूर के युद्ध नायक संग्रहालय में केदन वतन पंजाब दीन के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया

देश के सबसे बड़े खेल महाकुंभों में से एक ‘खेड़न वतन पंजाब दियां’ का आज स्थानीय वार हीरोज स्टेडियम में शानदार आगाज हुआ। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने गुरुवार को इन खेलों के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों से भाग लेने वाली टीमों के शानदार मार्च पास्ट की सलामी ली। करीब दो महीने से चल रहे इस बहुप्रतीक्षित खेल आयोजन के उद्घाटन की घोषणा करते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बेहद गर्व और संतुष्टि की बात है कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के जन्मदिन यानी राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में आज इस मेगा खेल आयोजन का शुभारंभ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार 37 खेलों के नौ आयु वर्गों में करीब पांच लाख खिलाड़ी पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विजेताओं को 9 करोड़ रुपये से अधिक का नकद पुरस्कार वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार एथलेटिक्स, बैडमिंटन और पावरलिफ्टिंग सहित पैरा खेलों को भी खेड़न वतन पंजाब दियां में शामिल किया गया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इन तीनों खेलों में पंजाब के पैरा एथलीट पेरिस पैरालंपिक में भाग ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रमुख खेल आयोजन का उद्देश्य युवाओं की असीम ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ना है ताकि उन्हें नशे की बुराई से दूर रखा जा सके। उन्होंने कहा कि इन खेलों के दौरान 1 से 10 सितंबर तक ब्लॉक स्तरीय मुकाबले, 15 से 22 सितंबर तक जिला स्तरीय मुकाबले और 11 अक्टूबर से 9 नवंबर तक राज्य स्तरीय मुकाबले करवाए जाएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वर्ष 2023 में ‘खेड़न वतन पंजाब दियां’ का दूसरा सीजन करवाया गया जिसमें 4.5 लाख खिलाड़ियों ने भाग लिया और 12,500 विजेता खिलाड़ियों को 8.87 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने चालू वर्ष के दौरान खेड़न वतन पंजाब दियां के लिए पंजाब में 30 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय हॉकी दल के आठ खिलाड़ियों को एक-एक करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को 15 लाख रुपये दिए गए हैं, इसके अलावा उन्हें तैयारी के लिए 15 लाख रुपये दिए गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पदभार संभालने के बाद से उनकी सरकार ने पदक जीतने, प्रतियोगिता में भाग लेने और ऐसे आयोजनों की तैयारी के लिए 24,500 खिलाड़ियों को 87.47 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए खेल बजट 252 करोड़ रुपये है, जो पिछले साल की तुलना में 16.36 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि पंजाब खेलों में अपना मेडिकल कैडर बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जिसके लिए 113 पद सृजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट खेल कर्मियों (पदक विजेताओं) के लिए 500 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि जूनियर कोच, सीनियर कोच, सहायक निदेशक और उप निदेशकों के पदों को वर्तमान 444 से बढ़ाकर 581 कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं की असीम ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से दिशा देने के लिए राज्य भर में खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि ये खेल इस दिशा में एक सही कदम हैं क्योंकि इससे खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच मिलेगा। भगवंत सिंह मान ने जोर देकर कहा कि इसी तरह यह राज्य सरकार को खिलाड़ियों की ताकत और कमजोरियों की पहचान करने में भी मदद करेगा जो भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए उन्हें तैयार करने के लिए फायदेमंद होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी सरकार अधिक से अधिक प्रशिक्षित खिलाड़ियों को तैयार करने और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए भारतीय दल में अधिक से अधिक पंजाबी खिलाड़ियों को शामिल करने के लिए एक आक्रामक अभियान पर काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब में प्रचुर खेल प्रतिभा है और पंजाब सरकार खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भाग लेने और भारत के लिए पदक जीतने में सक्षम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है जिसने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं की तैयारी के लिए फंड मुहैया करवाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब और खेलों का गहरा नाता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न ओलंपिक में भी पंजाबी खिलाड़ियों ने खेलों में अपना लोहा मनवाया और यह गर्व की बात है कि पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम में 10 सदस्य पंजाब से थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य के युवाओं में प्रतिभा है, लेकिन पिछली सरकारें उन्हें जरूरी बुनियादी ढांचा मुहैया करवाने में विफल रही हैं।

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