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आप सांसद मलविंदर कंग ने केंद्र सरकार से गतिरोध तोड़ने और किसानों के साथ बातचीत शुरू करने की अपील की

आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद मलविंदर सिंह कंग ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति लगातार उदासीनता के लिए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सरकार से मौजूदा गतिरोध को तोड़ने और किसानों की मांगों को हल करने के लिए तुरंत बातचीत शुरू करने की अपील की।

मीडिया को जारी एक बयान में कंग ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जो पिछले एक महीने से अधिक समय से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि किसान समुदाय के साथ-साथ पंजाब के आम लोग भी जगजीत सिंह डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित हैं। केंद्र सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और बिना किसी देरी के किसानों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए।

कंग ने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्य सरकार द्वारा बातचीत शुरू करने के बार-बार प्रयासों के बावजूद केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत करने में विफल रहा है। पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को किसानों के साथ संचार चैनल खोलने के कई प्रयास किए लेकिन केंद्र अनुत्तरदायी बना हुआ है। यह निष्क्रियता अस्वीकार्य है।

आप नेता ने सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि महीनों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी केंद्र सरकार ने किसानों की वास्तविक मांगों को संबोधित करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया है। उनकी चुप्पी न केवल किसानों के संघर्ष को लम्बा खींच रही है, बल्कि पंजाब और देश भर के लोगों के बीच भारी परेशानी का कारण बन रही है।

कंग ने लंबे समय से चल रहे आंदोलन पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसने किसानों को भारी तनाव में डाल दिया है। लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध ने पंजाब के किसानों को  गहरी चिंता की स्थिति में डाल दिया है। वहीं जगजीत डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि किसान ‘अन्नदाता’ हैं, इसलिए उनके मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने और समाधान की जरूरत है।

उन्होंने केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की अपील की और कहा कि किसानों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करने की जरूरत है। लंबे संघर्ष से किसी को कोई लाभ नहीं होगा। यह केवल हमारे कृषक समुदाय के संकट को बढ़ा रहा है। इसलिए केंद्र अपनी चुप्पी तोड़े और किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सार्थक कदम उठाए।

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