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शानन हाइडल पावर प्रोजेक्ट विवाद क्या है ? पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने ठोका दावा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच शानन हाइडल पावर प्रोजेक्ट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। यह परियोजना ब्यास नदी की सहायक उहल नदी पर स्थित है और इसकी क्षमता 110 मेगावाट है।

शानन हाइडल पावर प्रोजेक्ट का निर्माण 1932 में हुआ था, जब मंडी रियासत और अविभाजित पंजाब सरकार के बीच 99 साल का पट्टा हस्ताक्षरित किया गया था। यह पट्टा 2 मार्च 2024 को समाप्त हो गया, जिसके बाद हिमाचल प्रदेश ने परियोजना पर अपना दावा पेश किया। इस बीच, केंद्र सरकार ने मौजूदा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया ताकि परियोजना का संचालन निर्बाध रहे।

हरियाणा ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया है, जिसमें उसने शानन परियोजना पर अपने अधिकारों का दावा किया है। हरियाणा का तर्क है कि चूंकि यह परियोजना उहल नदी पर स्थित है, जो भाखड़ा बांध को पानी प्रदान करती है, इसलिए उसे इस पर अधिकार होना चाहिए। हरियाणा ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 का हवाला देते हुए कहा कि यह परियोजना अविभाजित पंजाब का हिस्सा थी और इसका ऐतिहासिक संबंध हरियाणा से है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने हरियाणा के हस्तक्षेप का विरोध किया है, यह कहते हुए कि यह विवाद केवल हिमाचल और पंजाब के बीच का मामला है। हिमाचल प्रदेश ने अपनी आपत्ति अगले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज कराने की योजना बनाई है।

पंजाब ने भी इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई शुरू कर दी है और हिमाचल प्रदेश ने पंजाब के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उसने कहा कि मामला संविधान-पूर्व संधि से संबंधित है और इस पर न्यायालय का अधिकार क्षेत्र नहीं होना चाहिए।

अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस विवाद पर क्या निर्णय लेता है और क्या हरियाणा का आवेदन स्वीकार किया जाएगा या नहीं।

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