पंजाब
संसद में AI क्रांति पर बोले सांसद राघव चड्ढा, कहा- चाइना के पास डीपसीक, अमरीका के पास chatGPT, भारत कहां खड़ा है?

संसद में ज़ीरो आवर के दौरान राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर बोलते हुए कहा कि अगर भारत को 21वीं सदी की सुपर पावर बनना है, तो हमें एआई रिवॉल्यूशन का एपिक सेंटर बनना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में सिर्फ एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक लीडर बनाना होगा। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि अगर भारत ने इस दिशा में तेजी से कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र अमेरिका और चीन के नियंत्रण में चला जाएगा और भारत केवल एक टेक्नोलॉजी उपभोक्ता बनकर रह जाएगा।
दुनिया एआई क्रांति की ओर बढ़ रही है, लेकिन भारत कहां खड़ा है?
संसद में अपनी बात रखते हुए, सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “अमेरिका के पास चैटजीपीटी है। चीन के पास डीपसीक है। पूरी दुनिया एआई क्रांति की ओर बढ़ रही है। लेकिन सवाल यह है कि भारत कहां खड़ा है? क्या हम सिर्फ एआई के उपभोक्ता बनकर रह जाएंगे या फिर एआई क्रिएटर्स बनेंगे?”
उन्होंने बताया कि चीन का एआई बाजार 400 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है और अमेरिका हर साल हजारों करोड़ रुपये एआई स्टार्टअप्स में निवेश करता है। इसके विपरीत, भारत की एआई नीति अभी भी केवल व्हाइटपेपर और चर्चाओं तक सीमित है। चड्ढा ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि भारत केवल AI का उपयोग करने वाला देश न रहे, बल्कि इसे लीड करने की दिशा में आगे बढ़े।
लीडर बनाने के लिए उठाने होंगे तीन अहम कदम
राघव चड्ढा ने तीन महत्वपूर्ण कदमों का सुझाव दिया, जिससे भारत एआई क्रांति में विश्व नेता बन सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भारत को एआई रिसर्च और इनोवेशन में तेजी से निवेश बढ़ाना होगा। सरकार को एआई रिसर्च एंड डेवलपमेंट और स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए एक समर्पित एआई फंड बनाना चाहिए। इसमें निजी क्षेत्र को भी निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके अलावा आईआईटी, आईआईएससी और अन्य शीर्ष संस्थानों में एआई रिसर्च के लिए विशेष ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित किए जाएं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एआई सुपरकंप्यूटिंग और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से विकसित करने की जरूरत है।
सांसद राघव चड्ढा ने आगे बोलते हुए कहा कि हमें एआई को जॉब क्रिएटर बनाना चाहिए, न कि जॉब डेस्ट्रॉयर। उन्होंने कहा कि एआई का प्रभाव नौकरियों पर साफ दिख रहा है। अगर सही प्लानिंग की जाए, तो भारत में एआई के कारण करोड़ों नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं। सरकार को इसके लिए AI आधारित स्किलिंग प्रोग्राम लॉन्च करने चाहिए, जिससे युवाओं को एआई फ्रेंडली नौकरियों के लिए तैयार किया जा सके। इसके अलावा भारत को एआई डेवलपमेंट और मशीन लर्निंग में अग्रणी बनने के लिए अपने छात्रों और प्रोफेशनल्स को एडवांस एजुकेशन देनी होगी।
सांसद राघव चड्ढा ने एआई को गवर्नेंस में लागू करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में एआई-आधारित केस मैनेजमेंट सिस्टम लाया जाए, जिससे मुकदमों का निपटारा तेजी से हो। किसानों के लिए एआई-ड्रिवन वेदर और क्रॉप एडवाइजरी सिस्टम बनाए जाएं, जिससे खेती अधिक वैज्ञानिक और लाभदायक बने। वहीं, सरकारी विभागों में एआई लागू करने से कार्यकुशलता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
‘मेक एआई इन इंडिया’ को दें बढ़ावा
राघव चड्ढा ने इस बात पर जोर दिया कि अगर भारत को 21वीं सदी में सुपरपावर बनना है, तो उसे एआई क्रांति का केंद्र बनना होगा। उन्होंने कहा, मेक इन इंडिया सिर्फ फैक्ट्रियों तक सीमित नहीं रह सकता। अब समय आ गया है कि हम ‘मेक एआई इन इंडिया’ को एक राष्ट्रीय अभियान बनाएं!”
भारत को केवल एआई उपयोग करने वाला देश नहीं, बल्कि एआई का निर्यातक बनना चाहिए। अगर यह कदम अभी नहीं उठाए गए, तो भविष्य में भारत को अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
राघव चड्ढा ने अपने भाषण में भारत की क्षमताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के पास प्रतिभाशाली युवा, विशाल जनसंख्या और तकनीकी आधार है, जो इसे एआई क्रांति में लीडर बना सकता है। लेकिन इसके लिए तत्काल और ठोस नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस दिशा में एक राष्ट्रीय एआई रणनीति बनाए और इसे लागू करने के लिए समयबद्ध लक्ष्य तय करे।