पंजाब

मान सरकार का ऐतिहासिक फैसला, पंजाब के 500 सरकारी स्कूलों को मिलेंगे नए प्रिंसिपल

पंजाब की मान सरकार राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम कर रही है। वहीं, स्कूल प्रिंसिपलों की कमी को दूर करने और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने स्कूल प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है। इस निर्णय से राज्य के स्कूलों में 500 नए प्रधानाचार्यों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

पिछली सरकार में घटाया गया था कोटा

पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रधानाचार्यों की पदोन्नति का कोटा घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था, जिसके कारण पंजाब के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों की भारी कमी हो गई थी। इस परिवर्तन से न केवल वरिष्ठ शिक्षकों के लिए पदोन्नति के अवसर बाधित हुए, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में देरी और कानूनी विवादों के कारण भारी रिक्तियां भी उत्पन्न हुईं।

पिछली सरकार की विफलताओं पर प्रकाश डालते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा, “2018 में कांग्रेस सरकार ने नियमों में बदलाव किया, जिससे प्रिंसिपलों के लिए पदोन्नति कोटा 75 प्रतिशत से घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। इस अन्यायपूर्ण बदलाव ने शिक्षकों को उनकी उचित पदोन्नति से वंचित कर दिया और कई स्कूलों को प्रिंसिपल विहीन कर दिया। वहीं इसके कारण नियुक्तियों का एक लंबित मामला कानूनी चुनौतियों में फंस गया, जिससे समस्या और जटिल हो गई।”

शिक्षकों के अधिकारों को करेगा बहाल

मंत्री बैंस ने प्रिंसिपलों के लिए 75 प्रतिशत पदोन्नति कोटा बहाल करने के पंजाब सरकार के फैसले की घोषणा की, जिससे बड़ी संख्या में योग्य वरिष्ठ अध्यापकों को स्कूलों में नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, “इस निर्णय से राज्य भर में लगभग 500 नए प्रधानाचार्यों की पदोन्नति हो सकेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे स्कूलों में शैक्षिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी शिक्षक होंगे। यह हमारे शिक्षकों के अधिकारों को भी बहाल करता है, जिन्हें पिछली सरकार ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था।”

मंत्री ने कहा कि आप सरकार ने पंजाब की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने, शिक्षकों को सशक्त बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने को लगातार प्राथमिकता दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय शिक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक चुनौतियों के समाधान में मददगार साबित होगा।

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